
1.पेड़ :
यह एक बड़ा फल वाला पेड़ होता है, जो 30 से 70 फुट तक ऊंचा होता है। इसके पत्ते मोटे और साइनिंगफूल होता है। इसके फलो की उपज लगभग 3 से 4 सालो में होता है।
2.विशेष बाते :
🔸 इसका बाहर भाग काटा नुमा और छिलका मोटा होता है।
🔸इसका रंग हरा और पीला होता है।
🔸अंदर से फलीदार गुदे और नरम होता है, जिसका रंग पीला होता है।
🔸इसका वजन बड़े विस्तृत रूप में होता है, जोकि 10kg से लेकर 50kg भी हो जाता है।

3. पोषण मूल्य रूप : पोषण तत्व बहुत अच्छा पाया जाता है :-
▪️मैग्नीशियम, पोटैशियम और आयरन
▪️फाइबर
▪️एंटी ऑक्सीडेंट्स
▪️विटामिन A, सी और B6
4: बेनिफिट :
- इसको रक्तचाप का कनट्रोल पोटैशियम की उपलब्धि में अच्छा होता है।
- एंटी ऑक्सासिडेंट्स और विटामिन C से प्रतिरोधक शक्ति में वृद्धि होता है।
- बालो के लिए बेनिफिट होता है।
- पाचन प्रकिया में फाइबर की अधिक होने से कब्ज की परेशानी दूर करती है।
- मैग्नीशियम और कैल्शियम की उपस्थित में हड्डियों की मजबूती बनाता है।
5: उपजाऊ मिट्टी तथा जलवायु :
▪️ इसे गर्म और वातावरण उपज में सहायता होता है।
▪️लाल मिट्टी डोमट और बालू डोमट मिट्टी बहुत ही अच्छा होता है।
▪️इसका ph वॉल्यूम :- 6.1 से 7.5
6: लगाने का समय :
🔸जून के लास्ट दिनों में तथा जुलाई मानसून के प्रारम्भ में लगाने उचित होता है।
🔸लगाने समय गढ्ढे में डाले ताकि पौधे को सही वृद्धि मिले।
🔸मानसून के समय में लगाने पर पानी डालने की आवकश्कता नहीं हो परन्तु गर्मी के समय में 10 से 12 दिन अंतर पर इसको पानी देना चाहिए।
🔸 साल में 15 से 25kg गोबर उर्वरक डाल देने पर फलो की वृद्धि मिलती है।

7: रोक थाम के लिए :
बोर्डो मिक्सचर और जैविक कीटनाशक के उपयोग लिया जाता है।
8:कटहल के बीज:
इसका बीज का भी सब्जी भी बनाया जाता है।
पके हुए कटहल का बीच को निकाल कर उसको भी सब्जी बनाया जाता है, बिल्कुल आलू की तरह।

9: कटहल का कौन – कौन सा व्यजन :
- कटहल कोपता
- कटहल बिरयानी
- मुरब्बा।
10 मेल फ्रूट और फीमेल फ्रूट :
मेल : चिकना पन ज्यादा रहता है, बड़े होने पर गिर जाता है।
फीमेल : इसमें गढ्ढा – गढ्ढा ज्यादा रहता है
